
यह पुस्तक भारत-रत्न लता मंगेशकर और युवा संगीत व सिनेमा अध्येता यतीन्द्र मिश्र के बीच छह वर्षों तक चले लम्बे संवाद के अंशों पर आधारित है। लता जी के आत्मीय सहयोग से निर्मित उनके सुरों की यह गाया उनके प्रशंसकों को समर्पित है। उनकी जीवन्त यात्रा का दस्तावेज़, जिसमें लता मंगेशकर का अद्भुत संगीत-संसार उजागर हुआ है।
चाँद उनका संग-ए-मील है
– गुलज़ार
उनकी आवाज़ से चेहरे बनते हैं। ढेरों चेहरे, जो अपनी पहचान को किसी रंग-रूप या नैन-नक्श से नहीं, बल्कि सुर और रागिनी के आईने में देखने से आकार पाते हैं। एक ऐसी सलोनी निर्मिति, जिसमें सुर का चेहरा दरअसल भावनाओं का चेहरा बन जाता है। कुछ-कुछ उस तरह, जैसे बचपन में परियों की कहानियों में मिलने वाली एक रानी परी का उदारता और प्रेम से भीगा हुआ व्यक्तित्व हमको सपनों में भी खुशियों और खिलौनों से भर देता था ।
बचपन में रेडियो या ग्रामोफ़ोन पर सुनते हुए किसी प्रणय-गीत या नृत्य की झन्कार हमें कभी यह महसूस ही नहीं हुआ कि इस बक्से के भीतर कुछ निराले ढंग से मधुबाला या वहीदा रहमान पियानो और सितार की धुन पर थिरक रही हैं, बल्कि वह एक सीधी-सादी महिला की आवाज़ का झीना सा पर्दा है, जिस पर फूलों का भी कोई रंग असर नहीं करता। उस महिला के परिधान की सफ़ेदी में हरसिंगार की पंखुरियों का रंग और धरती पर चन्द्रमा की टूटकर गिरी हुई किरनों का झिलमिल पसरा है।
यतीन्द्र मिश्र
हिन्दी कवि, सम्पादक, संगीत और सिनेमा अध्येता हैं। उनके अब तक चार कविता-संग्रह- ‘यदा-कदा’, ‘अयोध्या तथा अन्य कविताएँ’, ‘ड्योढ़ी पर आलाप’ और ‘विभास’; शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी पर एकाग्र ‘गिरिजा’, नृत्यांगना सोनल मानसिंह से संवाद पर आधारित ‘देवप्रिया’ तथा शहनाई उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ के जीवन व संगीत पर ‘सुर की बारादरी’ प्रकाशित हैं। प्रदर्शनकारी कलाओं पर ‘विस्मय का बखान’, कन्नड़ शैव कवयित्री अक्क महादेवी के वचनों का हिन्दी में पुनर्लेखन ‘भैरवी’, हिन्दी सिनेमा के सौ वर्षों के संगीत पर आधारित ‘हमसफ़र’ के अतिरिक्त फिल्म निर्देशक एवं गीतकार गुलज़ार की कविताओं एवं गीतों के चयन क्रमशः ‘यार जुलाहे’ तथा ‘मीलों से दिन’ नाम से सम्पादित हैं। गिरिजा’ और ‘विभास’ का अंग्रेजी, ‘यार जुलाहे’ का उर्दू तथा अयोध्या श्रृंखला कविताओं का जर्मन अनुवाद प्रकाशित हुआ है।

इनके अतिरिक्त वरिष्ठ रचनाकारों पर कई सम्पादित पुस्तकें भी प्रकाशित हैं। इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ फैलोशिप, रज़ा सम्मान, भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद युवा पुरस्कार, हेमन्त स्मृति कविता सम्मान सहित भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की कनिष्ठ शोधवृत्ति एवं सराय, नयी दिल्ली की स्वतंत्र शोधवृत्ति मिली हैं। दूरदर्शन (प्रसार भारती) के कला-संस्कृति के चैनल डी.डी. भारती के सलाहकार के रूप में सन् 2014-2016 तक अपनी सेवाएँ दी हैं। साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों हेतु भारत के प्रमुख नगरों समेत अमेरिका, इंग्लैण्ड, मॉरीशस एवं अबु धाबी की यात्राएँ की हैं। अयोध्या में रहते हैं तथा समन्वय व सौहार्द्र के लिए ‘विमला देवी फाउण्डेशन न्यास’ के माध्यम से सांस्कृतिक गतिविधियाँ संचालित करते हैं।
भूमिका
अनुक्रम
जीवन की वीणा का तार बोले
सांगीतिक यात्रा पर विचार
आज फिर जीने की तमन्ना है
लता मंगेशकर से संवाद
कुछ दिल ने कहा
ऐसी भी बातें होती हैं
प्रतिनिधि गीतों का चयन
तेरे सुर और मेरे गीत
सम्मान
ग्रन्थ- सन्दर्भ
नाम – सन्दर्भ
