
जॉर्ज ऑरवेल (1903-1950) अंग्रेजी भाषा के सर्वाधिक चर्चित लेखकों में से एक थे। बर्मीज डेज, एनिमल फ़ार्म और 1984 उनके प्रतिनिधि उपन्यास हैं। उनके कथेतर गद्य को भी काफ़ी सराहा गया। उन्होंने अपने समय-समाज की राजनीतिक और वैचारिक हलचलों को जिस गहरी नजर से देखा-परखा वैसा बहुत कम देखने में आता है। सत्ता तंत्र और साम्राज्यवाद की बारीक़ आलोचना उनके लेखन की उल्लेखनीय विशेषता है।
1984 सर्वसत्तावादी शासन के खतरों से आगाह करने वाला विश्वविख्यात उपन्यास है। यह अनिवार्यत: विचार और भाषा के सम्बन्धों पर केन्द्रित एक कृति है।
जाहिर है, जब विचार और भाषा एक-दूसरे को प्रभावित करते हों तो यह परिघटना किसी कालखंड में बँधी नहीं रह सकती। जब- जब कोई विचार विशेष सत्ता में होगा, उससे जुड़ी शब्दावली भी वापस प्रचलन में आएगी। यही बात इस उपन्यास को सार्वकालिक बनाती है।
प्रकाशकीय
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