Meer – by Ramnath ‘Suman’ (Author)

 
उर्दू-काव्य से मीर को निकाल दीजिए तो जैसे गंगा को हिन्दुस्तान से निकाल दिया। मीर में अनुभूति की गहराइयाँ तड़पती हैं, वहाँ दिल का दामन आँसुओं से तर है। मीर में एक अजब-सी खुदफ़रामोशी है, एक बाँकपन, एक अकड़, एक फ़क़ीरी तथा जवान की वह घुलावट है, जो किसी दूसरे को नसीब नहीं हुई। विना डूबे मीर को पाना मुश्किल है। ‘सहल है मीर को समझना क्या, हर सुखन उसका एक मुकाम से है। सर्वांगीण समीक्षा के साथ इस पुस्तक में मीर नज़दीक से व्यक्त हुए हैं। सुमनजी लगभग चालीस वर्षों तक उर्दू-काव्य के गहन अध्येता रहे। उनमें गहरी पकड़ थी, वह कवि के मानस में उतरते थेमीर के इस अध्ययन को, जो सुमनजी की पैनी दृष्टि से गुज़रकर आया है, पढ़कर आपको मीर के सम्बन्ध में उर्दू में कुछ पढ़ने को नहीं रह जाता, क्योंकि इसमें मीर पर हुए सम्पूर्ण अद्यतन श्रम का समावेश है। प्रस्तुत है पुस्तक का नया संस्करण ।
 
रामनाथ ‘सुमन’
भाषाएँ: हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी, उर्दू, बांग्ला, गुजराती और प्राचीन फ्रेंच ।
प्रमुख रचनाएँ: अंग्रेज़ी फोर्सेज़ ऐंड पर्सनेलिटीज़ इन ब्रिटिश पॉलिटिक्स, ब्लीडिंग वूड। अनुवाद : विनाश या इलाज, जब अंग्रेज़ आये, बच्चों का विवेक, विषवृक्ष, घरजमाई, रहस्यमयी, दामाद ।
हिन्दी-समीक्षा : कवि प्रसाद की काव्य-साधना, माइकेल मधुसूदन दत्त, दागे जिगर, कविरत्न मीर।
कविता : विपंची।
निवन्य जीवनयज्ञ वेदी के फूल, कटारे से पुकारती वाणी।
राजनीति : गांधीवाद की रूपरेखा, युगाधार गांधी।
संस्मरण एवं रेखाचित्र : हमारे नेता, स्व. राष्ट्र-निर्माता आदि ।
सम्पादन : ‘नवराजस्थान’ तथा ‘सम्मेलन पत्रिका’। अनेक पुस्तकों के विविध भारतीय भाषाओं में अनुवाद |
काव्य एवं रस के समाराधकों के चरणों में निवेदित
‘सुमन’

मेरी बात

आज से 33 वर्ष पूर्व मैंने हिन्दी पाठकों को उर्दू का काव्य परिचय देने का निश्चय किया था। तब हिन्दी में उर्दू काव्य की आवभगत न थी, जैसी आज है। ‘मीर’, और ‘जिगर’ (जो उन दिनों उठ रहे थे) पर मैंने दो पुस्तकें लिखीं। वे छपीं। उनका आदर हुआ। फिर सजनीति के झंझावात से मेरा जीवन अस्थिर हो गया। इस प्रान्त से उस प्रान्त, उस प्रान्त से इस प्रान्त, कभी यहाँ कभी वहाँ, कभी जेल कभी बाहर फिरता रहा। वह निश्चय दब गया। वह क्रम टूट गया, यद्यपि अध्ययन-विशेष कवियों का- चलता रहा।
और आज तक टूटा रहा। इधर उर्दू कवियों पर, उर्दू शायरी पर कई किताबें देखने में आयीं। पर कोई ऐसा ग्रन्थ न देखा जिसे पढ़कर एक विशेष कवि या काल का सम्पूर्ण वैभव हमारे सामने आ जाय, जिसे पढ़कर उस विषय पर उर्दू में पढ़ने को न रह जाय, जिसमें अब तक के शोधकार्य का सम्पूर्ण सार आ गया हो; जिसमें कवि की मर्मभावना में पैठकर उसके हृदय को, उसकी भावराशि को हमारे हृदय से जोड़ दिया गया हो, सम्बद्ध कर दिया गया । कम-से-कम मेरी प्यास नहीं बुझी । मैं प्यासा ही रहा। स्वभावतः मैं समझता हूँ कि और भी लोग, मेरी तरह, प्यासे होंगे।
मेरे एक पुराने मित्र मिल गये। यूँही बातें चल पड़ीं। उन्होंने उर्दू कवियों- सम्बन्धी मेरी उन दो पुरानी पुस्तकों की चर्चा की और यह भी बताया कि स्व. नरेश उनपर मुग्ध थे और सदा अपने शयन-कक्ष में तकिये के नीचे रखते। उन्होंने कहा कि महाराज ने कई बार उनका ज़िक्र किया; कहा कि यह है जो कवि का कलेजा काग़ज़ पर निकालकर रख देता है। उससे मुलाक़ात कराओ, मैं कहूँगा कि ऐसा ही कुछ और लिखे।
इसमें प्रकारान्तर से मेरी प्रशंसा है पर मैंने अपनी प्रशंसा की दृष्टि से इसे नहीं लिखा । प्रसंगवश लिखा है। इसलिए लिखा है कि महाराज जैसे और भी हैं जो कवि के अन्तर में पैठनेवाली क़लम को देखने-पाने के अभिलाषी हैं। इस चर्चा से मेरा निश्चय दृढ़ हो गया। 33 वर्ष पूर्व ‘मीर’ पर जो कुछ लिखा था वह इस विशेषता के साथ भी अधूरा है। इस बीच उर्दू में उनपर काफ़ी काम भी हुआ है। इसलिए मैं सबसे पहले यह ‘मीर’ हिन्दी जगत में रख रहा हूँ। मीर उर्दू शायरी के ख़ुदा कहे गये हैं। उर्दू ग़ज़ल के प्राचीन कवियों में वह बेजोड़ हैं। कोई उन तक नहीं पहुंचा। ग़ालिब, ज़ौक़, सौदा सब स्वीकार करते हैं। इसलिए पहले उन्हें ही लिया। इसमें उनके सम्बन्ध में उद्यतन शोध का तत्त्व भी है और वह सब भी है जिस पर महाराज मुग्ध थे।
इसके बाद मेरा विचार ‘ग़ालिब’ पर लिखने का है जिसका अध्ययन में वर्षों से करता रहता हूँ, और जिनपर कई पुस्तकें निकलने के बाद भी मेरे निश्चय के चरण दृढ़ होते गये हैं; मैं अब भी उसकी उतनी ही आवश्यकता अनुभव करता हूँ। दिल एवं दिमाग़ की मजबूरियाँ हैं ।
पुस्तक लिखने में मैंने उनेक ग्रन्थों से सहायता ली है। इनका तथा इनके प्रणेताओं का ज़िक्र अन्यत्र किया गया है। मैं उनका कृतज्ञ हूँ। डॉ. फ़ारूक़ी, मौलवी ‘आसी’ तथा डॉ. अब्दुल हक़ का विशेष आभार मानता हूँ। उर्दू में डॉ. फ़ारूक़ी का शोध ग्रन्थ, अपनी कुछ ख़ामियों के साथ भी, काफ़ी प्रामाणिक है और मैंने उस ग्रन्थ से पर्याप्त प्रेरणा एवं सहायता ली है।
चित्र दे सका हूँ।
और अगली मुलाक़ात तक बस ।
लखनऊ
3.9.59    
– रामनाथ ‘सुमन’

कृतज्ञता ज्ञापन

पुस्तक लिखने में निम्नलिखित ग्रन्थों एवं रचनाओं से विशेष सहायता ली गयी है-
 1. कुल्लियाते ‘मीर’ : सम्पादक मौलवी अब्दुल बारी ‘आसी’ (नवलकिशोर प्रेस)
 2. इन्तिखाबे कलाम-ए-‘मीर’: सम्पादक मौलवी अब्दुलहक़ (अंजुमन तरक्की-          ए- उर्दू)
 3. ‘आबेहयात’ : लेखक मौ. मुहम्मद हुसैन आज़ाद (लाहौर की अष्टम आवृत्ति)
 4. मीर तक़ी ‘मीर’ : लेखक डॉ. ख्वाजा अहमद फारूकी (अंजुमन त. उर्दू)
 5. कविरत्न ‘मीर’ : लेखक भी रामनाथ ‘सुमन’ (पुस्तक भंडार, लहेरिया सराय)
 6. तज़किरा, शुअराय उर्दू लेखक मीरहसन देहलवी (अंजुमन त. उर्दू )                   तज़किरा  रेख़्तागोयान लेखक फ़तेह अली (अंजुमन त. उर्दू)
 7. नकातुश्शुअरा : सम्पादक मौलवी अब्दुलहक़ (अंजुमन त उर्दू)
 8. ज़िक्रे मीर: सम्पादक मौलवी अब्दुल हक़ (अंजुमन त. उर्दू)
 9. उर्दू ग़ज़ल : लेखक डॉक्टर यूसुफ़ हुसैन (मकतबा जामिया)
निम्नलिखित पुस्तकों एवं रचनाओं से भी सहायता ली गयी है-
  10. उर्दू की इश्क़िया शायरी : लेखक ‘फ़िराक़ गोरखपुरी (इलाहाबाद)
  11. तज़किरा गुलशने बेखार : लेखक नवाब मुस्तफ़ा ख़ाँ ‘शेफ़्ता’                           (नवलकिशोर  प्रेस)
  12. तज़किरा शाअरात उर्दू (क़ौमी कुतुबखाना, बरेली)
  13. तारीख़ फ़रिश्ता (नवलकिशोर प्रेस)
  14. तारीख इबरत अफ़जा (मुरादाबाद)
  15. तारीख़ अवध (नवलकिशोर प्रेस)
  16. इनफ्लुएंस ऑफ़ इस्लाम ऑन इंडियन कल्चर : लेखक डॉ. ताराचन्द ।
  17. दरिया-ए-लताफ़त लेखक इंशा (अंजुमन-त.-उर्दू)
  18. फ़ैज़े ‘मीर’ सम्पादक सै. मसऊद हसन रिज़वी
  19. मज़ा ‘मीर’ : लेखक नवाब जाफ़रअली (किताबी दुनिया, देहली)
  20. मरासी मीर : सम्पादक सैयद मसीहुज़्ज़मा (सरफ़राज़ क़ौमी प्रेस,                    लखनऊ)
  21. मस्नवियाने मीर : सम्पादक सर शाह सुलेमान (निज़ामी प्रेस, बदायूँ)
इसके अतिरिक्त अनेक पत्र-पत्रिकाओं तथा उर्दू, हिन्दी, संस्कृत, फ़ारसी कवियाँ की रचनाओं से भी सहायता ली गयी है। डॉ. फ़ारूक़ी की पुस्तक काफ़ी अच्छी है; उससे मैंने पर्याप्त सहायता ली है। उनका कृतज्ञ हूँ, यद्यपि पुस्तक में सन् संवत् की अनेक भूलें रह गयी हैं। लेखकों एवं सम्पादकों सबके प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापन।
-रामनाथ ‘सुमन’

अनुक्रम

   – मेरी बात
   – कृतज्ञता ज्ञापन
जीवन
    –  मीर : जीवन-प्रवाह
   –  मीर : चरित्र-पक्ष
   –  मीर : जीवन एवं काव्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
काव्य-समीक्षा
    –  मीर : काव्य की मानसिक पृष्ठभूमि
    –  मीर : काव्य का कला-पक्ष
    –  मीर : काव्य के सिद्धान्त एवं विषय
    –  मीर : काव्य की कुछ विशेषताएँ
    –  मीर : जीवन और काव्य-ज्ञातव्य बातें
    –  मीर की रचनाएँ
व्याख्या
   –   कुछ शेर : व्याख्या-सहित
काव्य
    –   ग़ज़लें
    –  विविध काव्य
उपसंहार
उर्दू पिंगल की कुछ बातें
उर्दू-काव्य में आनेवाले व्यक्ति
काव्य के महत्त्वपूर्ण शब्द-प्रतीक
मीर-काव्य के कुछ विशिष्ट शब्द
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