ऑस्कर वाइल्ड की कहानियाँ

प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक आस्कर वाइल्ड उन थोड़े-से लेखकों में हैं जिनका लेखन और व्यक्तित्व दोनों ही विवादास्पद रहे हैं; लेकिन एक शैलीकार के रूप में उन्हें सभी ने मान्यता दी है। उन्होंने जीवन के शुभ पक्षों को अपनी रचनाओं में प्रश्रय दिया और मानवीय विरूपता के विरोध में करुणा, आत्मिक सौन्दर्य और सहानुभूति जैसे जीवन-मूल्यों की स्थापना की।
लोककथाओं जैसी कथा-रस से भरपूर उनकी कहानियाँ जीवन की ऊबड़-खाबड़ घाटियों से होते हुए हमें ऐसे लोक में ले जाती हैं जहाँ आत्मा की शुभ्रता का उजास फैला-दिखता महसूस होता है। यथार्थ और फन्तासी की मिली-जुली शैली में लिखी इस संग्रह की कहानियाँ
 
पाठकों को भूल-भुलैया का रोमांच तो अवश्य देती हैं पर अपने उद्देश्य से वे उन्हें भटकाती नहीं ।
आस्कर वाइल्ड की डेढ़ सौवीं वर्षगाँठ पर ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ धर्मवीर भारती द्वारा किया गया उनकी कहानियों का सुन्दर अनुवाद प्रकाशित करते हुए प्रसन्नता का अनुभव कर रहा है।

धर्मवीर भारती

बहुचर्चित लेखक एवं सम्पादक डॉ. धर्मवीर भारती 25 दिसम्बर 1926 को इलाहाबाद में जनमे और वहीं शिक्षा प्राप्त कर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करने लगे । इसी दौरान कई पत्रिकाओं से भी जुड़े। अन्त में ‘धर्मयुग’ के सम्पादक के रूप में गम्भीर पत्रकारिता का एक मानक निर्धारित किया।
डॉ. धर्मवीर भारती बहुमुखी प्रतिभा के लेखक थे । कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, आलोचना, अनुवाद, रिपोर्ताज आदि विधाओं को उनकी लेखनी से बहुत कुछ मिला है। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं : साँस की कलम से, मेरी वाणी गैरिक वसना, कनुप्रिया, सात गीत-वर्ष, ठण्डा लोहा, सपना अभी भी, सूरज का सातवाँ घोड़ा, बन्द गली का आख़िरी मकान, पश्यन्ती, कहनी-अनकहनी, शब्दिता, अन्धा युग, मानव-मूल्य और साहित्य और गुनाहों का देवता । भारती जी ‘पद्मश्री’ की उपाधि के साथ ही ‘व्यास सम्मान’ एवं अन्य कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से अलंकृत हुए ।
4 सितम्बर 1997 को मुम्बई में देहावसान ।
आज से 13 वर्ष पहले के,
साहित्य-क्षेत्र में डरते-डरते प्रवेश करनेवाले,
किशोर लेखक धर्मवीर की ओर से
उसके प्रथम प्रोत्साहक,
मित्र और प्रकाशक राजा मुनुआ को स्नेह और आदर से

प्रथम संस्करण से

आस्कर वाइल्ड अँग्रेजी साहित्य के उन थोड़े-से लेखकों में से एक हैं जिनका लेखन जितना विवादास्पद रहा है, उतना ही उनका व्यक्तित्व भी। किन्तु अँग्रेजी गद्य के अनुपम शैलीकार के रूप में उन्हें सभी ने मान्यता दी है! शिल्प-सज्जा, शब्द चयन, चमत्कारपूर्ण अभिव्यक्ति और भाषा-प्रवाह के लिए आज भी उनका लेखन अद्वितीय माना जाता है। उनकी कथाएँ अपने ढंग की अनूठी हैं। आशा है, वे हिन्दी के पाठकों को रुचिकर प्रतीत होंगी।
– अनुवादक
“कैवेलरी के पहाड़ों पर प्रभु जीसस को फाँसी दी गयी थी। जब ज़ोजेफ़ उनकी फाँसी देखकर शाम को नीचे घाटी में आया तो उसने एक सफेद चट्टान पर एक जवान आदमी को बैठकर रोते हुए देखा।
और ज़ोजेफ़ उसके पास गया और बोला – “मैं जानता
हूँ तुझे कितना दुःख हो रहा है क्योंकि सचमुच जीसस महान पैगम्बर था ।”
लेकिन उस जवान आदमी ने कहा- “ओह, मैं उसके लिए नहीं रो रहा हूँ। मैं इसलिए रो रहा हूँ कि मुझे भी जादू आता है, मैंने भी अन्धों को आँखें दी हैं, मुर्दों को जीवन दिया है, भूखों को रोटी दी है, पानी को शराब बनाया है…और फिर भी मानव-जाति ने मुझे क्रास पर नहीं लटकाया ।”
– आस्कर वाइल्ड

अनुक्रम

– शिशु-देवता
– अभिषेक
– तारा-शिशु
– मूर्ति और मनुष्य
– निःस्वार्थ मित्रता
– इन्फैण्टा का जन्मदिन
– एक लाल गुलाब की कीमत
– नाविक और उसका अन्तःकरण
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